सोख्ता गड्ढा
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) अर्न्तगत ग्रे-वाटर प्रबंधन का आधारभूत सिद्धांत है कि ग्रे-वाटर की उत्पत्ति के स्थान से निटतम संभावित स्थान पर इसका प्रबंधन किया जाये और अधिकतम संभव सीमा तक ग्रे-वाटर का पुनः उपयोग किया जाना चाहिए।
यह घर स्तर पर अपनाई जाने वाली कम लागत, स्थानीय रूप से उपलब्ध सामग्रियों से निर्मित होने वाली तकनीकी है जिसका उपयोग भूजल पूर्नभरण (Recharge) में किया जाता है। सोख्ता गड्ढा बनाने की विधि
• सर्वप्रथम सोख्ता गड्ढा के निर्माण हेतु स्थान का चयन करना चाहिए। • सोख्ता गड्ढा गोल एवं चौकोर दोनों प्रकार से बनाया जा सकता है। • चयनित जगह पर 1 मीटर लम्बाई और 1 मीटर चौड़ाई का रेखांकन चूने से करना चाहिए। • रेखांकित किये हुए घेरे में 1 मीटर गहरा गड्ढे की खुदाई करनी चाहिए।
• गड्ढे के भूमिगत स्तर से 30 से.मी. तक, 100-150 मि.मी के पत्थर के टुकड़े बिछाई जाना
चाहिए।
• इसके ऊपर 30 से.मी.तक 75-100 मी.मी के पत्थर बिछाई जाना चाहिए।
• तत्पश्चात इसके ऊपर 25 से.मी तक 50-75 मी.मी के पत्थर बिछाई जाना चाहिए। • इसके उपरांत गड्ढे के मध्य में एक मटका रखे जिसके तल में छिद्र हो और साथ ही मटके में
• नारियल का जूट डालना चाहिए।
• मटके के चारो ओर तथा गड्ढे की उपरी सतह में मिट्टी डालने से पहले जूट की बोरी डालनी
चाहिए।
• अंततः घर से निकलने वाले अपशिष्ट जल का पाईप मटके में ला कर छोड़ना चाहिए। सोखता गड्ढ़े का संचालन एवं रख रखाव • गड्ढे में लगे हुए मटका फिल्टर को समय समय पर साफ करना चाहिए. साथ ही जाली की
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